Friday, December 11, 2020

तुमसा कोई एक.......

किसी शायर का हसीन ख्वाब हो तुम,
शमां या जश्न ए चिराग हो तुम,
जो चमकता रहे हर धड़कन में,
उस धड़कन की महताब हो तुम। 


सरसों के खेतों का रंग हो तुम,
तिलमिलाती तितलियों का उमंग हो तुम,
झरने की झर झर की मधुर राग हो तुम,
मचलती लहरों का अनोखा अंदाज हो तुम। 

मदमाती हवाओं की अंगड़ाई हो तुम,
सतरंगी दुपट्टे की परछाई हो तुम। 


किसी दुल्हन की चाह की लहक हो तुम,
किसी बगिया की भोर की महक हो तुम,
सदियों की तड़प की प्यास हो तुम,
किसी ताजी शहद की मिठास हो तुम। 


इतनी सभी रंगीनियत  को जब खुदा ने मिलाया होगा,
तब जाकर कहीं तुमसा कोई एक बनाया होगा।




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