Friday, April 19, 2019

गुस्सा पे काबू.......


बहुत समय पहले की बात है, एक गाँव में एक लड़की रहती थी। वह बहुत ही गुस्सैल थी, छोटी-छोटी बात पर अपना आप खो बैठती और लोगों को भला-बुरा कह देती। उसकी इस आदत से परेशान होकर एक दिन उसके पिता ने उसे कीलों से भरा हुआ एक थैला दिया और कहा कि , ” अब जब भी तुम्हे गुस्सा आये तो तुम इस थैले में से एक कील निकालना और दिवार में ठोक देना.”
        
 पहले दिन उस लड़की को बीस बार गुस्सा आया और इतनी ही कीलें दिवार में ठोंक दी। पर  धीरे-धीरे कीलों  की संख्या घटने लगी, उसे लगने लगा की कीलें ठोंकने में इतनी मेहनत करने से अच्छा है कि अपने क्रोध पर काबू किया जाए और अगले कुछ हफ्तों में उसने अपने गुस्से पर बहुत हद्द तक  काबू करना सीख ली, और फिर एक दिन ऐसा आया कि उस लड़की ने पूरे दिन में एक बार भी किसी पे गुस्सा नही की।
जब उसने अपने पिता को ये बात बताई तो उन्होंने ने फिर उसे एक काम दे दिया, उन्होंने कहा कि ,” अब हर उस दिन जिस दिन तुम एक बार भी गुस्सा ना करो इस दीवार से एक कील निकाल निकाल देना.”

     लड़की ने ऐसा ही किया, और बहुत समय बाद वो दिन भी आ गया जब लड़की ने दिवार में लगी आखिरी कील भी निकाल दी, और अपने पिता को ख़ुशी से ये बात बतायी.
तब पिताजी उसका हाथ पकड़कर उस दीवार के पास ले गए, और बोले, ” बेटी तुमने बहुत अच्छा काम किया है, लेकिन क्या तुम दीवार में हुए छेदों को देख पा रही हो. अब वो दीवार कभी भी वैसा नहीं बन सकती जैसी वो पहले थी। जब तुम क्रोध में कुछ कहती हो तो वो शब्द भी इसी तरह सामने वाले व्यक्ति पर गहरे घाव छोड़ जाते हैं.”

      इसी प्रकार जब भी हम किसी व्यक्ति से कुछ ऐसी बातें कह  देते हैं जो कि हृदय व मन पर गहरा आघात कर देती है, तो हम चाह कर भी उसके मन के आघात को ठीक नहीं कर सकते, और उसके आघात के दुःख को बहुत समय के उपरांत भी नहीं भर सकते। अतः हमें ऐसी बातों का ध्यान रखना चाहिए कि हमारी गुस्से मे कही गयी बातों से किसी के मन व हृदय पर आघात ना हो।

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