Sunday, March 26, 2023

यार बताऊं कैसे मैं

 चाह बहुत है कह जाऊं,

 पर यार बताऊं कैसे मैं

 सोचता हूं चुप रह जाऊं,

 पर यार छुपाऊं कैसे मैं ।


 प्रेम पंखुड़ी बाग बन गया,

 धरा पर लाऊं कैसे मैं,

 दिल में बसने वाले की,

 तस्वीर दिखाऊं कैसे मैं ।


 कहते हो तुम सब समझोगे,

 ये समझाऊं कैसे मैं,

 प्यार तुम्ही से करता हूं,

 पर यार बताऊं कैसे मैं ।

Wednesday, April 6, 2022

टीना डाबी और उधार की मुस्कान: हमारे सामाजिक खोखलेपन और दोहरी सोशल-पर्सनालिटी का सशक्त उदाहरण

 टीना डाबी और उधार की मुस्कान: हमारे सामाजिक खोखलेपन और दोहरी सोशल-पर्सनालिटी का सशक्त उदाहरण 



 टीना डाबी जिस कदर मीडिया माध्यमों पर छाई हुई हैं, उससे लगता है कि ये मामला रूस-यूक्रेन युद्ध और कोरोना संक्रमण से भी ज्यादा बड़ा और गंभीर है। टीना डाबी कौन हैं, एक आईएएस, एक सुंदर लड़की, ऐसी लड़की जिसने कई बेड़ियों को एक झटके में तोड़ते हुए अपने मुसलमान प्रेमी से शादी की थी। या फिर एक ऐसी लड़की जो अब एक अधेड़ आईएएस से दोबारा शादी करने जा रही है और सोशल मीडिया पर लिखती है, ‘‘ये मुस्कान तुम्हारी दी हुई है।’’ और एक ऐसी लड़की भी जिसने बहुत कम उम्र में आईएएस जैसी परीक्षा टॉप करके उम्मीदों के एक नए आसमान को सामने रखा था, लेकिन अब वो सब कुछ कहां है ? वो सफलता कहां है ?, वो उम्मीदें कहां हैं ?, वो स्त्री आजादी और बराबरी की मॉडल कहां है ? जवाब कठिन है और जटिल भी है। लेकिन, जवाब मौजूद है। 

जवाब देने से पहले कुछ बातों को साफ करना जरूरी है। निजी तौर पर मुझे इस बात से कोई दिक्कत नहीं है कि कोई लड़की किससे प्रेम करती है और किससे शादी करती है या उसकी निजी जिंदगी क्या है! मुझे इससे भी कोई दिक्कत नहीं है कि कोई लड़की सुंदर है या सुंदर नहीं है और मेरी टिप्पणी के केंद्र में यह बात भी नहीं है कि टीना डाबी किसी दलित परिवार से हैं या नहीं हैं। मूल बात यह है कि एक सुंदर आईएएस लड़की जो अपने मुस्लिम पति से तलाक लेकर अब एक अधेड़ आईएएस से शादी करने जा रही है, उसका मैसेज क्या है ? 

बात स्पष्ट है कि टीना डाबी से जुड़ा काम्बीनेशन मीडिया और बाजार को एक जरूरी ‘उत्पाद’ मुहैया कराता है। इसलिए मीडिया और मीडिया के माध्यम से बाजार ने टीना डाबी के मामले को तुरंत लपक लिया। बाजार की ताकतें इतनी शातिर और दबंग हैं कि किसी सचेत और प्रबुद्ध व्यक्ति को भी बहुत आसानी से ‘उत्पाद‘ में तब्दील कर देती हैं। उत्पाद यानि प्रॉडक्ट बनाने की प्रक्रिया भी सुनिर्धारित है। जिसे प्रॉडक्ट के तौर पर तब्दील करना हो, सबसे पहले उसकी खूबियों, भले वे उसमें हों या न हों, को प्रचारित किया जाता है। इसी क्रम में उसकी प्रॉडक्ट-वैल्यू स्थापित की जाती है। लोगों के बीच चर्चा होती है और वे संबंधित प्रॉडक्ट की ओर आकर्षित होते हैं। इसी से बाजार अपने लिए रेवेन्यू और पूंजी एकत्र करता है। 

अब टीना डाबी के उदाहरण को देखिए। हमारे सिस्टम के लिए उसकी मौजूदगी और उपयोगिता एक अच्छा सिविल सर्वेंट साबित होना है। बीते छह साल में टीना टाबी ने एक अधिकारी के तौर पर कोई ऐसा काम किया हो जिससे आम लोगों की जिंदगी में उल्लेखनीय बदलाव आया हो या देश का नाम पूरी दुनिया में रौशन हुआ हो या दलित समाज के लिए अपने किसी कार्य से कोई दुर्लभ उदाहरण स्थापित किया हो, इन सबके बारे में कोई सार्वजनिक सूचना उपलब्ध नहीं है। इसके उलट टीना डाबी की निजी जिंदगी ही चर्चा में है, जिसका वे खुद भी प्रचार करती हैं। 

किसी एक परीक्षा में टॉपर होना, चाहे वह आईएएस की परीक्षा ही क्यों न हो, इस बात का प्रमाण नहीं है कि संबंधित व्यक्ति अच्छा प्रशासक या अच्छा इंसान भी साबित होगा ही। टीना डाबी को एक व्यक्ति की बजाय एक प्रवृत्ति की तरह भी देख सकते हैं जिसके विकास में समकालीन सामाजिक परिस्थितियों और बाजार का प्रभाव साफ-साफ देखा जा सकता है। 

और यही प्रवृत्ति टीना डाबी और विश्व सुंदरी हरनाज कौर को एक ही श्रेणी में रख देती है। हम जश्न मनाते हैं कि भारत की एक लड़की विश्व सुंदरी बनी है। इसके कुछ ही महीनों बाद मीडिया में हरनाज कौर के शारीरिक अंगों के असामान्य विकास (जो किसी बीमारी के कारण है) पर चर्चा होने लगती है। सोशल मीडिया पर चटखारे लेकर चर्चा की जाती है कि हरनाज कौर के स्तन और नितंब कितने बड़े हो गए हैं। (जबकि, बाजार ने वादा किया था कि उनके शरीर का हर अंग परफेक्ट शेप में रहेगा, जिनकी नाप-जोख विश्व सुंदरी बनने की प्रक्रिया के दौरान की जाती है!)




मूल बात देखिए, जिस वक्त हरनाज को भारत की बेटी, देश का गौरव बताया जा रहा था, तब भी हम उसे शरीर के तौर पर ही जानते थे और जब उसके स्तनों, नितंबों के असामान्य आकार को लेकर गॉसिप किए जा रहे हैं तब भी हम उसका शरीर ही देख रहे हैं। कड़वी सच्चाई यह है कि हम बाजार द्वारा तैयार एक प्रॉडक्ट ही देख रहे हैं। यही बात ज्यों की त्यों टीना डाबी पर भी लागू होती है। चिंता की बात यह है कि ये लड़कियां (इनका नाम टीना डाबी, हरनाज कौर या अन्य कुछ भी हो सकता है) केवल बाजार के कारण ही उत्पाद में तब्दील नहीं हुई हैं, बल्कि इनकी निजी महत्वाकांक्षा और तत्काल शोहरत पा लेने की चाहत भी इन्हें मौजूदा स्थिति में लाकर खड़ा कर देती है। इस वक्त मीडिया जिस तरीकों और उत्पादों के जरिये अपने दर्शकों-पाठकों को बांधे रखना चाहता है, उन तरीकों और उत्पादों में हरनाज कौर के साथ-साथ टीना डाबी भी पूरी तरह अनुकूल साबित होती हैं। हालांकि, हरनाज कौर को एक बार अनदेखा किया जा सकता है, लेकिन टीना डाबी को उसके पेशेगत दायित्वों के कारण अनदेखा करना आसान नहीं है और किया भी नहीं जाना चाहिए।


ऐसी खबरों की भरमार है जो देश की सबसे सुंदर आईएएस, देश की सबसे सुंदर आईपीएस के ब्यौरों से भरी हुई हैं। बी. चंद्रकला का उदाहरण भी कुछ दिन पुराना ही है। क्या हम सबसे सुंदर आईएएस, सबसे सुंदर आईपीएस, सबसे सुंदर विधायक की तलाश में हैं?

इस वक्त देश के प्रतिष्ठित ऑनलाइन मीडिया माध्यमों पर ऐसी खबरों की भरमार है जो देश की सबसे सुंदर आईएएस, देश की सबसे सुंदर आईपीएस के ब्यौरों से भरी हुई हैं। बी. चंद्रकला का उदाहरण भी कुछ दिन पुराना ही है। क्या हम सबसे सुंदर आईएएस, सबसे सुंदर आईपीएस, सबसे सुंदर विधायक की तलाश में हैं? अगर मीडिया की निगाह से देखें तो हम इनकी तलाश में हैं। इसलिए हमें वे लड़कियां प्रायः प्रभावित नहीं करतीं जो अच्छी प्रशासक, अच्छी डॉक्टर या अच्छी अधिकारी तो हैं, लेकिन न तो वे सुंदर हैं और न ही उत्पाद बनने के लिए तैयार हैं।

अगर अपनी सामाजिक, आर्थिक और राष्ट्रीय जरूरतों को देखें तो हमें सुंदरता और निजी जिंदगी के किस्सों की बजाय उस टीना डाबी की जरूरत है जो अपने दलित समाज, जो अपने स्त्री-वर्ग और अंतत: सुव्यवस्था का परचम थामे हो, न कि नकली मुस्कान वाली वो लड़की जो सोशल मीडिया पर भावुक टिप्पणी करती है कि ‘‘मेरी ये मुस्कान तुम्हारी दी हुई है।’’ यदि टीना डाबी की मुस्कान भी किसी की बंधुवा है या किसी की उधार दी हुई है तो फिर उन्हें सच में सोचना चाहिए कि वीमेन-एंपावरमेंट एक फर्जी अवधारणा है। टीना डाबी का उदाहरण ये भी बताता है कि आईएएस जैसी प्रतिष्ठित परीक्षा को टॉप करने के बावजूद किसी की सामाजिक चेतना का विकास प्रेरक दिशा में ही होगा, इसकी कोई गारंटी नहीं है। यकीनन, टीना डाबी हमारे सामाजिक खोखलेपन और दोहरी सोशल-पर्सनालिटी का सशक्त उदाहरण है।

पुनश्च: 

टीना डाबी को नए पारिवारिक जीवन और हरनाज कौर को उनके स्वास्थ्य के लिए शुभकामनाएं!

(लेखक  के विचार निजी हैं।) 


Thursday, December 23, 2021

क्या आप समझ पा रहें हैं?


 'जो लोग आपको समंदर के बढ़ते जलस्तर को लेकर चेतावनी दे रहे हैं, वे खुद समंदर किनारे की जायदाद खरीदने में लगे हैं! 


जो लोग आपको महामारी को लेकर चेतावनी दे रहे हैं, वे खुद पार्टियां और रैलियां करने में मशगूल हैं! 


जो लोग आपको यह बता रहे हैं कि आप अपने विवेक या कॉमन सेंस के हथियार का समर्पण कर दीजिए तो इससे आप सुरक्षित रहेंगे, वे खुद अपने लिए सबसे आधुनिक हथियारों का सुरक्षा घेरा खड़ा करने में लगे हैं!


क्या आप अब भी यह समझ पा रहे हैं?'


Tuesday, September 14, 2021

हिंदी दिवस

     हिंदी एक भाषा मात्र ही नही, अपितु एक सांस्कृतिक चेतना, व हृदय भाव को सहज लहजे में स्पष्ट व सरस ढंग से सम्प्रेषित करने की भाषा है, 

         हिंदी भाषा को भारतीय संविधान के द्वारा 14 सितंबर 1949 को राजभाषा का दर्जा दिया गया। हिंदी भाषा के महत्व को बताने और इसके प्रचार प्रसार के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के अनुरोध पर 1953 से प्रति वर्ष हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
     हिंदी खड़ी बोली के जनक व आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह भारतेंदु हरिश्चंद्र जी प्रसिद्ध कविता की पंक्ति कुछ इस प्रकार है-
निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल,
बिनु निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल ।

भावार्थ:
निज यानी अपनी भाषा से ही उन्नति संभव है, क्योंकि यही सारी उन्नतियों का मूलाधार है।
         मातृभाषा के ज्ञान के बिना हृदय की पीड़ा का निवारण संभव नहीं है। विभिन्न प्रकार की कलाएँ, असीमित शिक्षा तथा अनेक प्रकार का ज्ञान, सभी देशों से जरूर लेने चाहिये, परन्तु उनका प्रचार मातृभाषा के द्वारा ही करना चाहिये।
         हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं! 



Wednesday, July 14, 2021

सुंदरता का घमण्ड

      एक बार की बात है, दूर एक रेगिस्तान में, एक गुलाब था जिसे अपने सुंदर रूप पर बहुत गर्व था।  उसकी एकमात्र शिकायत एक बदसूरत कैक्टस के बगल में बढ़ रही थी।

     








हर दिन, सुंदर गुलाब कैक्टस का अपमान करता था और उसके लुक्स पर उसका मजाक उड़ाता था, जबकि कैक्टस चुप रहता था।  आस-पास के अन्य सभी पौधों ने गुलाब को समझाने की कोशिश की, लेकिन वह भी अपने ही रूप से प्रभावित था।

        एक चिलचिलाती गर्मी, रेगिस्तान सूख गया, और पौधों के लिए पानी नहीं बचा।  गुलाब जल्दी मुरझाने लगा।  उसकी खूबसूरत पंखुड़ियां सूख गईं, अपना रसीला रंग खो दिया।
कैक्टस की ओर देखते हुए, उसने देखा कि एक गौरैया पानी पीने के लिए अपनी चोंच को कैक्टस में डुबा रही है।  हालांकि शर्म आ रही थी, गुलाब ने कैक्टस से पूछा कि क्या उसे कुछ पानी मिल सकता है।  दयालु कैक्टस आसानी से सहमत हो गया, और एक दोस्त की तरह उसकी मदद की और उसको जीवित रखा।

सीख -
कभी भी किसी को उनके दिखने के तरीके से मत आंकिए।

Tuesday, July 13, 2021

खुद को बदलें, दुनिया को नहीं


एक बार की बात है, एक राजा था जो एक समृद्ध देश पर शासन करता था।  एक दिन, वह अपने देश के कुछ दूर के इलाकों में यात्रा के लिए गया। 

       जब वह अपने महल में वापस आया, तो उसने शिकायत की कि उसके पैर बहुत दर्दनाक रूप से छिल गए थे।क्योंकि यह पहली बार था कि वह इतनी लंबी यात्रा के लिए गया था, और जिस सड़क पर वह गया था बहुत उबड़-खाबड़ और पथरीला रास्ता था, फिर उसने अपने लोगों को आदेश दिया कि वे शहर की हर सड़क को चमड़े के साथ पूरा ढक दें।

        निश्चित रूप से, इसके लिए हजारों जानवर की खाल की आवश्यकता होगी, और इसकी कीमत एक  बड़ी मात्रा में धन की होगी। 

 तब उसके एक बुद्धिमान सेवक ने राजा से यह कहने का साहस किया, “क्यों?

 आपको वह अनावश्यक राशि खर्च करनी होगी?  आप क्यों नहीं,अपने पैरों को ढकने के लिए चमड़े का एक छोटा सा टुकड़ा काट लें?"

 राजा को आश्चर्य हुआ, लेकिन बाद में वह उनके सुझाव पर सहमत हो गया

 खुद के लिए एक "जूता"।

 इस कहानी में वास्तव में जीवन का एक मूल्यवान सबक है: इस दुनिया को सुखी बनाने के लिए रहने के लिए हर जगह को न बदलें, बेहतर होगा कि आप खुद को बदल लें - आपका दिल;  और दुनिया नहीं।

Wednesday, May 26, 2021

मोहब्बत












सालों साल ऐसे ही चलती रही मोहब्बत, 

रूह- ए- बिरह मे जलती रही मोहब्बत, 

     कभी तेरी चाह के लिए तो, 

             कभी तेरी पनाह के लिए, 

कभी आह से खलती रही मोहब्बत

सालों साल ऐसे ही चलती रही मोहब्बत, 

रूह- ए- बिरह मे जलती रही मोहब्बत, 

     मोहब्बत थी मोहब्बत है

              ये जाने कबकी उल्फ़त है, 

फिर मेरी भी क्यो नहीं बनती कोई मोहब्बत, 

सालों साल ऐसे ही चलती रही मोहब्बत, 

रूह- ए- बिरह मे जलती रही मोहब्बत।। 


यार बताऊं कैसे मैं

  चाह बहुत है कह जाऊं,  पर यार बताऊं कैसे मैं  सोचता हूं चुप रह जाऊं,  पर यार छुपाऊं कैसे मैं ।  प्रेम पंखुड़ी बाग बन गया,  धरा पर लाऊं कैसे...